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बिहार के चीनी मिल से किसान हुए परेशान

Bihar ke cheeni mil se kisan pareshan hai
Champaran ke cheeni mills

बिहार के चीनी मिल से किसान हुए परेशान: जैसा के आप सब जानते हैं के पुरे भारत में किसानो का कोई माई बाप नहीं है,पुरे भारत में लगभग में 70% किसान रहते हैं जिन्हें भारत का सब से मुर्ख प्रजाति समझा जाता है!बिहार के चीनी मिल भी किसानों को मूर्ख समझने में कोई गलती नहीं कर रहा है,बिहार के चीनी मिल से किसान इतना परेशान है के यह फैसला नहीं कर पा रहा है के क्या करे?अपनी गुहार किससे लगाए,अपनी पीड़ा किस को सुनाए?

पूरे बिहार में लगभग 28 चीनी मिल है जो अभी कार्यकारी परिस्थिति में है,लगभग 2.50 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की जाती है जिससे हर साल 130 लाख मिलियन टन चीनी का उत्पादन होता है,आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं के कितने सारे किसान इस गन्ने पे निर्भर होंगे,जब इतने सारे किसान के साथ धोखा छल किया जायेगा तो इसका क्या परभाव होगा?

बिहार के चीनी मिल से क्यों परेशान हैं किसान

बिहार के गन्ना मंत्री श्री खुर्शीद अलियास फिरोज अहमद अभी तक केवल एक बार चीनी मिल का दौरा किये हैं,दुबारा कभी उन्होंने ने ये जहमत नहीं उठाई के चीनी मिल में किसानो को बुला कर उनकी समस्या को सुना जाये,हो सकता है के पहले दौरा में ही % फिक्स हो गया हो इसलिए दुबारा आना उचित नहीं समझा होगा.

अब मैं खास चम्पारण के चीनी मिल की बात करने जा रहा हूँ,चम्पारण में कुछ लोग बिज़नेस के लिए ट्रेक्टर रखे हैं जो हर साल अपने नाम पे गन्ने की फ़र्ज़ी नापी करवाते हैं,अगर फ़र्ज़ी नापी नहीं हो सकती तो चीनी मिल के एरिया सुपरवाइजर को कुछ पैसा देते हैं जिससे उनका चालान आम किसान से जायदा आता है,जो किसान अपने गन्ने की सही नापी करवाता है उसका चालान बहुत कम आता है जिससे उस किसान को परेशानी होती है और समय पे गन्ना चीनी मिल तक नहीं भेज पाता है और आखिर में उसका गन्ना  जाता है.

बिज़नेस वाले लोग अपनी मनमानी पैसे ले कर कुछ लोगों का पहले गन्ना गिरा देते हैं और जिनका पहले गन्ना जाता है उसका पेमेंट भी पहले मिलता है,इस तरह आम किसान परेशान हो कर उसी बिजनेस मेन ट्रेक्टर वाले से अपना गन्ना भेजने पे मजबूर हो जाता है!

दूसरी जो सब से बड़ी समस्या है वो चोरी की है...आप हैरान हो गए के चीनी मिल में चोरी कैसे हो सकती है?चीनी मिल किसानों के साथ नंगा नाच कर रहा है लेकिन मजबूर किसान कुछ बोल नहीं सकते कुछ कर नहीं सकते.अगर बैल गाडी पे गन्ना जाता है तो पूरे गन्ने के वजन में से ३ क्विंटल वजन फ्री में काट लेता है और अगर ट्रेक्टर पे गन्ना जाता है तो पूरे वजन में से 5-7 क्विंटल वजन फ्री में काट लेता है.इस तरह किसानों का गन्ना हर साल मिल कितना फ्री में लेता है इसका कोई अनुमान नहीं लागय जा सकता है!बाक़ी चीनी मिल का क्या हाल है ये मुझे ठीक से पता नहीं है लेकिन मझौलिया चीनी मिल का यही हाल है!

चीनी मिल के इस चोरी चमारी को रोकने वाला कोई नहीं है,हर तरफ बन्दर बाँट चल रहा है ऐसा लग रहा है के किसान चीनी मिल के घर के नौकर जैसे हैं,जैसे चीनी मिल बोलेगा वैसा करना पड़ेगा,अभी 2 जनवरी को मझौलिया चीनी मिल में किसानों के साथ एक छोटी सी मीटिंग थी,उस मीटिंग में एक किसान अपनी लाचारी बयां करते हुए बोला के साहेब अगर गन्ने का आप भुगतान नहीं करेंगे तो हम अपना गन्ना दूसरी जगह दे देंगे,मैनेजर साहेब अस्वासन और सहानुभूति देने के बदले ये कहा की तुम्हे जहाँ जी चाहे अपना गन्ने देदो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है!

चीनी मिल में गन्ने की भुगतान की समस्या से किसान परेशान

अगर आप किसान घर से हैं या किसी भी तरह किसानी से जुड़े हैं तो आप को मालूम होगा के ज्यादा लागत में कम फसल पैदा हो रहा है,उदाहरण के तौर पे आप को बता रहा हु,यह एक सही हिसाब है एक किलोग्राम गेहूं पैदा करने में किसान का लागत लगभग Rs.24-25 आता है और कितने में बिकता है?आज कल भाव(दाम) खूब बढ़ा है तो Rs.18-19 में बिक रहा है,वैसे Rs.17 तक बिकता है!

ऐसे हालात में एक किसान अपनी जरूरत कैसे पूरी कर सकता है?क्या किसान के बच्चे नहीं पढ़ते हैं?क्या किसान को दुःख बीमारी नहीं होती है?क्या किसान कपड़े नहीं पहनते हैं?क्या किसान के घर शादी विवाह नहीं होते हैं?अगर ये सब किसान के साथ भी होता है तो आप भी सोंचे के एक किसान ये सब कैसे पूरा करता होगा?

अब ऐसे बेहाल किसान के गन्ने का भुगतान एक साल बाद भी नहीं मिले तो क्या हाल होगा,पिछले साल जो गन्ना किसानो ने चीनी मिल में दिया था अब तक उसका भुगतान चीनी मिल नहीं कर पाया है,इस साल जो गन्ना चीनी मिल में जा रहा है उसकी भुगतान की बात करना ही फज़ुल है!

वैसे हाई कोर्ट का आदेश है के गन्ने का भगतन जल्दी किया जाये,बिहार के गन्ना मंत्री श्री खुर्शीद अलियास फिरोज अहमद ने भी कहा है कि बिहार सरकार से बात कर के दो महीने में गन्ने का भुगतान कर दिया जायेगा,लेकिन कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है!सवाल ये उठता है कि आखिर एक साल तक किसानों के गन्ने का भुगतान क्यों रोका गया है?क्या किसान ही बेवकूफ है जिसका एक साल पैसा रख के अब भी ये कहा जाये के दो महीने में भुगतान कर दिया जायेगा?

भारत में किसानो को किस तरह परेशान किया जा रहा है इसका अनुमान तक नहीं लगाया जा सकता है ऐसी परिस्थिति में किसान आत्महत्या नहीं करेगा तो क्या भंगड़ा करेगा,अगर आप कुछ भी बाजार से खरीद के खाते हैं तो बेशक आप का थोड़ा सा पैसा लगता है लेकिन उस चीज़ में एक किसान का मेहनत,मजदूरी,खून पसीना,आंसू अरमान उम्मीद सब लगा होता है, अगर आप के दिल में किसानों के लिए कोई हमदर्दी है तो इस पोस्ट को आगे भेजते रहें!

सारांश
गन्ने का भुगतान न होने से किसान खास तौर से बिहार के किसान बिहार के चीनी मिल से बहुत परेशान हैं,बिहार सरकार किसानों को जवाब दे कि उनका भुगतान क्यों रोका गया है?अगर किसानो के गन्ने का भुगतान नहीं कर सकते तो चीनी मिल बंद करें लेकिन किसानो को बेवकूफ बना के उनके पैसे से कमाने की कोशिश न करें!भुगतान न कर के बिहार के चीनी मिल किसान को परेशान न करे!गन्ने के चक्कर में किसान अपने दूसरे फसल भी ठीक से नहीं कर पाता है जिससे बिहार के किसान बेहाल हैं!पिछले साल के सैलाब की मार से अभी तक किसान उभरा भी नहीं है कि चीनी मिल उनका पैसा मार के खुद कमाने में लगे हैं!होश में आओ जिस दिन किसान जाग गया उस दिन तुम बेहोश हो जाओगे!

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