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प्रेम क्यों करते हैं?

Why do you love?-प्रेम क्यों करते हैं?
प्रेम क्यों करते हैं?

प्रेम क्यों करते हैं: प्रेम एक ऐसा विषय है शायद जब से संसार का निर्माण हुआ है तब से इसके बारे में कुछ न कुछ लिखा गया है,बहुत से लोगों ने अपने तरीके से प्रेम का अलग अलग परिभाषा दिया है!प्रेम का कोई एक खास परिभाषा नहीं है,ये अलग अलग मनुष्य के हिसाब से बदलता रहता है! जिस का जैसा अनुभव होता है उसी तरह प्रेम की ब्याख्या करता है,इसका अर्थ ये हुआ के प्रेम के बारे में अभी लिखा जाना और समझना बाकी है!

संसार के अलग अलग जुबान में प्रेम का अलग अलग नाम है जैसे लव,प्यार,मोहब्बत,इश्क़,प्रेम ऐसे बहुत सारे नामों से जाना जाता है,प्रेम के जितने भी परिभाषा पढ़ने को मिलते है उस में एक समानता जरूर मिलती है, प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं होता है, प्रेम किसी लक्ष्य को पाने का नाम नहीं है! कुछ लोग ये सोचते हैं के हम से कोई प्रेम इसलिए कर रहा है के हम अच्छे हैं परंतु ऐसा बिलकुल नहीं है हम ये क्यों नहीं सोचते हैं कि जो हम से प्रेम कर रहे हैं वो अच्छे हैं?

प्रेम होता है या करते हैं?

प्रेम करना यह एक बहुत ही अजीब बात है,प्रेम कोई काम नहीं है जिसको करना पड़ता है,और जो प्रेम किया जाये वो असल में प्रेम होता ही नहीं है,प्रेम करने का अर्थ है के आप जिस से प्रेम कर रहे हैं उसको देखा,समझा,परखा,और किसी मतलब के तहत प्रेम किया,आप के द्वारा किया गया प्रेम में कोई आप का जाति फ़ायदा नज़र आया,या अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए ही किया,इससे प्रेम करना कहते है और ये प्रेम नहीं होता है!

कोई बिना देखे प्रेम करता है या केवल एक नज़र में ही उसको प्रेम हो जाता है.ये जानने को कष्ट भी नहीं करता कि ये कौन है,कैसा है,कहाँ का है!अगर देख के समझ के उसका सिजरा पढ़ के प्रेम होता तो कोई ये क्यों लिखता के-बेबसी में मुझे क़ैद कर ले गयी-दे कर ख़ामोशी और हंसी ले गयी !किस जुर्म की सजा ये हम को मिली-दिया कुछ नहीं और ज़िन्दगी ले गयी!

किसी मनुष्य से एक पल में मानुष होना,उसकी छवि एक पल में रूह में उतर जाना,उसकी मौजूदगी संसार को भुला देना यही प्रेम है और इसी प्रेम को संसार वाले याद करते है!

रशियन लेखक लियो टॉलस्टॉय प्रेम के बारे में लिखते हैं

रशियन लेखक लियो टॉलस्टॉय को दुनिया के सबसे महान लेखकों में से एक माना जाता है। उनका एक उपन्यास वार एंड पीस दुनियाभर में प्रसिद्ध है! लियो टॉलस्टॉय प्रेम के बारे में लिखते हैं- हम असफल हो गए क्यों के हम ने खुद से कहा के हम असफल हो गए!इससे आप क्या समझे?

प्रेम में कोई सफलता और असफलता होती ही नहीं है!जिन्हे प्रेम है वह कभी सफलता की बात करते ही नहीं है!सफलता स्वार्थ की तरफ ले जाता है और जब प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं होता तो फिर सफलता और असफलता कैसी?

आगे लिखते हैं-अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो रहो। हमें हर हाल में सकारात्मक सोच बनाए रखनी चाहिए और प्रसन्न रहना चाहिए।अगर आप का प्रेम अपनी दुनिया में खुश है तो आप को दुखी होने की जरुरत नहीं है आप भी खुश रहें कि आप का प्रेम अपनी जगह खुश है,आप भी प्रसन्न रहें!आप के प्रेम के प्रति आप की सोच सकारात्मक होनी चाहिए ! कोई बदले की भावना नहीं होनी चाहिए!

ये बात अपनी जगह 100% सत्य है के हर ब्यक्ति संसार को बदलना चाहता है,इस संसार को अपने अनुकूल बनाना चाहता है,लेकिन कितने प्रतिशत मनुष्य हैं जो खुद को भी बदलने की बात करते हैं?प्रेम में किसी के अनुकूल बदलना भी पड़ता है,किसी के भावना को समझना भी पड़ता है,किसी की मज़बूरी और कष्ट को समझना पड़ता है! किसी ने क्यों लिखा है- कुछ तो मजबूरियां रही होंगी वरना-यूंही कोई बेवफा नहीं होता!

दो सबसे महान योद्धा हैं धैर्य और समय। समय अच्छा हो या बुरा हमेशा धैर्य बना रखना चाहिए।प्रेम में अकसर धैर्य और समय का बहुत योगदान रहा है!कभी इंतज़ार का धैर्य,कभी समय का धैर्य,प्रेम से दूर रहना एक बहुत बड़ा धैर्य है!उस बेचैनी के समय में धैर्य रखना ही प्रेम सिखाता है!

ये एक अजीब भ्रम है कि व्यक्ति की बाहरी सुंदरता को अच्छाई माना जाता है।मनुष्य की बाहरी सुंदरता कोई सुंदरता नहीं होती है!जो बाहरी सुंदरता को देख के प्रेम करते हैं उनका प्रेम असल में कोई प्रेम नहीं होता है!मनुष्य का एक भरम होता है जो बाहरी सुंदरता को देख के प्रेम करता है इससे प्रेम का नाम देना उचित नहीं होगा!

जिस मनुष्य के अन्दर सादगी,सच्चाई और अच्छाई नहीं वह कभी महान नहीं हो सकता है!प्रेम सादगी,सच्चाई और अच्छाई का संदेश देता है,और जिस मनुष्य के अन्दर प्रेम नहीं वह जानवर के जैसा है,प्रेम का दूसरा अर्थ आप सच्चाई सादगी और अच्छाई से भी ले सकते हैं,या इससे प्रेम का एक अंक समझ सकते हैं!

उस इंसान को सब कुछ मिलता है जो ये जानता है कि इंतजार कैसे करना है।इंतज़ार करने वाले कभी असफल नहीं होते हैं,चाहे वो प्रेम का इंतज़ार हो या सही समय का इंतज़ार,इंतज़ार करने वाले सफल जरूर होते हैं!किसी गलती को कभी ठीक नहीं किया जा सकता है,इंतज़ार का धैर्य खो कर कुछ लोग प्रेम में गलती कर बैठते है लेकिन उस गलती को गलती से भी ठीक नहीं किया जा सकता है!

हम सब यही पढ़ते आये है और लोगों से सुनते आये हैं के बुराई का अंत बुराई से नहीं किया जा सकता है!कोई भी बुरा काम करने से पहले ये जरुर सोंचे के इस बुराई को मिटाना कितना मुश्किल होगा!अगर किसी वश बुराई मिट भी गया तो इतिहास के पन्नों में अपना जगह बना ही लेती है!इसलिए सही समय का इंतज़ार करें और अपने प्रेम के प्रति कुछ बुरा करने की न सोचे!

ख़ुशी बाहरी चीज़ों पे निर्भर नहीं करती है!इस बात पे निर्भर करती है की आप उससे किस नज़र से देख रहे हैं,प्रेम के सागर में डूबने वाले बहरी ख़ुशी का मतलब नहीं जानते हैं!प्रेम वाले हर समय अपने अंदरूनी ख़ुशी में मस्त रहते है,जब प्रेम में कोई संकट आता है तो उनकी ख़ुशी क़यामत से कम नहीं होती और बाहरी ख़ुशी उन्हें एक खेल तमाशा की तरह लगने लगता है!

सारांश
प्रेम हो जाये तो उसके लिए खुद को भाग्यशाली समझे,ये ईश्वर का पर्दान किया हुआ एक वरदान है,प्रेम कोई काम नहीं है जिसको सोच समझ के आवशयकता अनुसार किया जाये! प्रेम तो बस हो जाता है,प्रेम क्यों करते है इस सवाल का कोई उत्तर नहीं होता है!प्रेम करो सब से प्रेम करो..एक मुस्कराहट भी प्रेम का एक अंक है,किसी से मिलो तो मुस्कुरा के मिलो!

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