प्रधानमंत्री मोदी के नज़र की चुभन बने कन्हैया कुमार
PM Modi and Kanhaiya Kumar |
कन्हैया कुमार के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है!जरा सोचिये चार्जशीट लोकसभा चुनाव से ठीक पहले क्यों दाखिल की गई है?मामला क्या है के JNU में देशद्रोही नारे लगाए गए थे! सवाल तो बनता है के क्या आम चुनाव से तीन महीने पहले कन्हैया कुमार के खिलाफ़ देशद्रोह का आरोप तीन साल बाद तय हो गया है?
क्या बीजेपी या प्रधानमंत्री मोदी कन्हैया कुमार को डरा रहे हैं?
12 सौ पेज की चार्जशीट में कुल 10 लोगों को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जिनमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, सैयद उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य का नाम शामिल है। चार्जशीट में कश्मीर के रहने वाले सात छात्रों आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, खालिद बशीर भट के नाम भी हैं।
कन्हैया कुमार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं,संछेप में ये समझें कि कन्हैया कुमार जेएनयू में छात्रों के नेता थे! उन पर और बाकी १० लोगों पे ये इल्ज़ाम है कि इन लोगों के देशद्रोह के नारे लगाए! ये बात तब की है जब 9 फरवरी 2016 में जेएनयू कैंपस में अफजल गुरु की फांसी के विरोध में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था,
बड़े मज़े की बात है कि कन्हैया कुमार जेएनयू में छात्रों के नेता थे तो कम से कम 500-1000 छात्र उनके साथ जरूर होंगे, जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित था और कोई मीडिया कैमरामैन नहीं था,कोई वीडियोग्राफी नहीं हो रही थी! किसी ने मोबाइल कैमरा से भी वीडियो नहीं बनया है जिससे ये पुख्ता सबूत मिल सके के जेएनयू में देशद्रोही नारे लगाए गए थे !चलो मान भी लिया के कोई वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं हुयी थी तो क्या एक नेता नारे लगाएगा तो केवल 10 लोग ही उस के साथ नारे लगाएंगे?
क्या उस आयोजित कार्यक्रम में केवल 10-20 छात्र ही थे?कन्हैया कुमार से इस बारे में हमेशा टीवी डिबेट में सवाल भी पूछे गए हैं,लेकिन उनका हमेश के जैसा वही ताल ठोक के अंदाज़ में बोलते नज़र आये कि अगर मैंने नारे लगाए हैं तो सबूत दिखाओ! तो क्या तीन साल बाद कोई सबूत हाथ लग गया है क्या?
पुलिस को केवल ये बताने में तीन साल लग गए के ये आदमी गाली दिया था या नहीं?इस बात से क्या हासिल होता है कि कन्हैया कुमार के खिलाफ ये बहुत बड़ी साजिश है! ठीक आम चुनाव से पहले कहीं कन्हैया कुमार को खामोश रहने के लिए तो नहीं किया गया है?
बता देना चाहता हूँ के मैं कन्हैया कुमार का भक्त नहीं हूँ या उनका सुप्पोर्टर नहीं हूँ!अगर कन्हैया कुमार के साथ साथ दस लोग दोषी पाए जाते हैं तो उनको जरूर सजा मिलनी चाहिए! सब से पहली बात ये है के एक आतंकवादी को फांसी की सजा होने पे जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित क्यों किया गया???आतंकवादी किसी भी धर्म का हो वह देश का दुश्मन होता है और दुश्मन के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाना ही देशद्रोह है!
मैं जानता हूँ के कन्हैया कुमार देश के प्रधानमंत्री या बीजेपी के खिलाफ हमेशा बोलते रहते हैं,बहुत सारे सवाल भी पूछते हैं बहुत सारे इल्ज़ाम भी लगते हैं! लेकिन जो सत्ता में होता है उसी से सवाल भी पूछे जाते हैं,अब डीजल पेट्रोल का दाम क्यों बढ़ा ये सवाल मनमोहन सिंह से नहीं ना पूछा जायेगा?अगर सवाल की आवाज़ को दबाने के लिए बीजेपी या प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा किया है तो ये उचित नहीं है!
देखते देखते ये मामला देश में तुल पकड़ता दिख रहा है जिससे बीजेपी और प्रधानमंत्री के लिए सर दर्द बन सकता है JNU मामले में कश्मीरियों के ख़िलाफ कार्रवाई पर बोलीं महबूबा, मोदी 2019 में वोट पाने के लिए कश्मीरियों का इस्तेमाल कर रहे हैं! महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इसी तरह 2014 के चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने अफजल गुरु को फांसी दे दी थी, ये सोच कर कि शायद उन्हें कामयाबी मिलेगी। आज बीजेपी वही दोहरा रही है।
ये बात कुछ अपनी जगह ठीक भी लग रही है के 2019 के आम चुनाव से पहले ताल ठोक के बोलते कन्हैया कुमार को चुप रहने को कहा जा रहा हो,क्यों के देश में ऐसे भी बीजेपी का मामला कुछ ठीक नहीं है ऊपर से कन्हैया कुमार जहाँ जाते हैं वहां बीजेपी का वोट बैंक ख़राब कर देते हैं!
कन्हैया कुमार बीजेपी या प्रधानमंत्री से बहुत सवाल पूछते हैं जिसका उत्तर बीजेपी या प्रधानमंत्री के पास नहीं होता है,अब सीधे सीधे नहीं तो इसी तरह सवाल को दबा दिया जायेगा! आप को बता दें कि अब आप का कंप्यूटर भी प्रधानमंत्री मोदी के छान बीन के अंतर्गत रहेगा,इसके लिए कुछ कंपनी को अनुबंध किया गया है,जो आप के कंप्यूटर पे निगरानी रखेगी!
ये सब 2019 की तयारी के अंतर्गत हो रहा है,प्रधानमंत्री मोदी या बीजेपी के खिलाफ बोलने वाले को आसानी से खामोश किया जा सके,ऐसा लग रहा है के देश से लोकतंत्र ख़त्म किया जा रहा है,भारतियों की आज़ादी छीन जायेगी और देश में क्रूर बादशाह की हुकूमत हो जायेगी जो जनता को उसके हिसाब से जीना पड़ेगा!
कन्हैया कुमार के खिलाफ तीन साल बाद चार्जशीट किया गया है,वह भी ऐसे वक़्त पे जब आम चुनाव में कुछ महीने बाकी रह गए हैं,प्रधानमंत्री मोदी का ये क़दम बीजेपी को कहाँ ले जायेगा ये तो आने वाला आम चुनाव ही बताएगा लेकिन आप भी सावधान रहें क्यों के आप का कंप्यूटर निगरानी में है!प्रधानमंत्री मोदी के नज़र में चुभन बने कन्हैयाकुमार का हिसाब किताब होने वाला है,इसको आम जनता किस तरह ले रही है ये सोचने वाली बात होगी.आप भी अपनी पर्तिकिर्या मुझे बताएं!!!
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