प्रधानमंत्री मोदी केंद्र की सरकार चलाने में विफल क्यों? कारण जाने
प्रधानमंत्री मोदी केंद्र की सरकार चलाने में हमेशा असफल दिखाई देते रहे इसके बहुत सारे कारण हैं जो हम इसके बारे में बताएंगे,भारत में ऐसा पहली बार हुआ है के प्रधानमंत्री की कुर्सी को हासिल करने के लिए 2014 में एक बिज़नेस का समीकरण फिट गया था,और भारत के उद्योगपति लोगों ने खुल के साथ दिया था,सोशल मीडिया,प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हर तरफ "अब की बार मोदी सरकार".किसी ने देखा या सुना था के अब की बार बीजेपी की सरकार?नहीं !साबुन तेल बेचने के लिए जैसे मीडिया में प्रचार किया जाता है ठीक उसी तरह भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए 2014 में प्रचार किया गया!
केंद्र में विफल सरकार |
प्रधानमंत्री मोदी को केंद्र की सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं
हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के नतीजे इशारा करते हैं कि बीजेपी केन्द्र की सत्ता से भी बाहर होने वाली है,प्रधानमंत्री भूल गए थे के केंद्र में भारत सरकार चलाना और गुजरात राज्य का सरकार चलाने में बहुत अंतर है,2014 में प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आए तो आपने सोचा कि आप हमेशा शासन करेंगे. यह आपका घमंड था इसलिए बीजेपी के पुराने नेता जो केंद्र में पहले काम किये थे और केंद्र में काम करने का अनुभव था उन्हें उल्लू की तरह उलटा लटका के सिर्फ पार्टी को देखते रहने का आदेश दिया !अब उल्टा लटका उल्लू तो उलटी नज़र से ही देखेगा और खामोश रहेगा.
बीजेपी के पुराने नेता सब ख़ामोशी से केंद्र सरकार का तमाशा देखते रहते हैं और खामोश रहते हैं,प्रधानमंत्री के सब से अच्छे सलाहकार अमित शाह अपनी बनिया दिमाग भारत के केंद्र सकरकर में लगते रहते हैं,अमित शाह की मज़बूरी है कि सत्ता के साथ जुड़े रहें अथवा ये लोग गुजरात में इतना रैयता फैलाए हैं के कोई भी इन्हे अपना निशाना बना सकता है,भारत का केंद्र सरकार ऐसे बनिया लोगों से नहीं चलने वाली है जो सिर्फ बिल फाड़ना जानते हैं,
अनुक्रम (hierarchy) भी कोई चीज़ होती है,सिस्टम भी कुछ होता है जिसे फॉलो करना पड़ता है,केंद्र सरकार अपना अनुक्रम फॉलो नहीं करती है,जिसे जो काम लेना चाहिए उससे वो काम नहीं ले पाती है,जब से मोदी सरकार केंद्र में बनी है तब से आज तक एक महीना भी ऐसा नहीं बीता है जिसमे कोई नया प्रकरण न पैदा किया गया हो,कभी लव जिहाद,कभी घर वापसी,कभी ट्रिपल तलाक़,कभी गाय रक्षा,कभी राम मंदिर, कभी पद्मावती,कभी आमिर खान,कभी भारतीय मुस्लिम पाकिस्तान चले जाओ,हिन्दू मुस्लिम का भेदभाव ऐसे बहुत सारे मुद्दे हैं जो भारत में हर महीने नए नए एपिसोड बन के आते रहे रहे हैं,क्या इस तरह देश चलता है?
मोदी सरकार के पास अपने किये हुए काम का कोई रिकॉर्ड नहीं है,केंद्र के पास कोई ऐसा डाटा नहीं है जो ये बता सके कि वह क्या काम की है,क्यों के ये केंद्र सरकार अनुक्रम फॉलो नहीं की इसलिए इनके पास अपने किये हुए काम का कोई डाटा नहीं है,ऐसा भी नहीं है के मोदी सरकार कोई काम नहीं की है, काम की है लेकिन उस काम को बताने के लिए इन के पास कोई परफेक्ट डाटा नहीं है!
नोट बंदी भारत के लिए किसी बहुत बुरे दिन से कम नहीं था,भारत का प्रधानमंत्री ताली ठोंक के बोले आज रात १२ बजे से तुम्हारा पैसा एक कागज़ के सिवा कुछ भी नहीं,तो उस देश का क्या हाल होगा,अगर देखा जाये तो सभी मुद्रा जो किसी के पास भी हो भारत सरकार का मुद्रा है,और ये प्रधानमंत्री भारत सरकार के मुद्रा को एक पल में कागज़ बना दिया जिस की पहले से कोई तैयारी नहीं थी,पूरे देश में त्राहि त्राहि का आलम हो गया. लोगों की परेशानी को छोड़ दीजिये असल में ये बात दर्शाती है के इस केंद्र सरकार के पास कोई मैनेजमेंट नहीं है,कोई सिस्टम नहीं है,कोई अनुभव नहीं है !
देश के सिस्टम पर कोई कंट्रोल नहीं रहा है,जो जिस को चाहे मार सकता है,और मज़े की बात देखिये उन्हें इतनी हिम्मत कहाँ से मिलती है के विडिओ बना के सोशल मीडिया पे वायरल भी करते हैं,इससे साफ यही लगता है कि केंद्र सरकार को सिस्टम पे कंट्रोल नहीं,
केंद्र सरकार हिंदू एजेंडा के साथ भारत पे राज़ करना चाहती है,क्या भारत में कभी ऐसा हुआ कि किसी ने हिंदुत्व या मुस्लिम एजेंडा पे राज किया हो??अगर भारत का इतिहास खुद से नहीं पढ़ सकते को किसी से पढ़वा के सुन लेना चाहिए.कभी किसी ने जाति एजेंडा पे इस भारत में राज नहीं किया है फिर बीजेपी ये कैसे सोच ली के हिंदुत्व एजेंडा पे केंद्र में राज करेगी?
झूठ फरेब और मक्कारी से भारत का केंद्र सरकार नहीं चलता है,झूठे वादे,नाला के गैस से चाय बना लेना और हवाई जहाज़ में क्रेडिट कार्ड से सामान खरीद लेना,पकौड़े तलने को एक रोजगार बताना,भारत का प्रधानमंत्री एक मोबाइल कंपनी के मोबाइल का प्रचार करे कुछ तो भारत देश का मर्यादा रखना चाहिए, ऐसी बाते एक देश के प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता है.अब हकीकत भारत की जनता समझ गयी है ये प्रचार का आइटम ठीक नहीं है,भारत की जनता को अपनी भूल पर पछतावा तो है ही लेकिन अब क्या करे! शायद 2019 में लोग यही कहेंगे "किस धूम से उठा था जनाज़ा बहार का".
पाठकों से निवेदन है की अपनी प्रतिक्रिया मुझे लिख भेजें मैं आपकी टिप्पणी का स्वागत करूंगा और अपनी सोच को सही दिशा देने की कोशिश करूंगा,जय हिन्द !!!
Lekin 2019 me to modify ne 2p14 ka bhi record tod diya ispe aap kya kahenge
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