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क्या श्री राम एक भगवान नहीं हैं? "भगवान" एक उपाधि है

Shri Rama is not a God
Shri Ram and Devi Sita

क्या श्री राम एक भगवान नहीं हैं?किसी को भगवान की उपाधि देने से पहले हमें यह जानना जरुरी है की भगवान का क्या अर्थ होता है? विष्णु पुराण में लिखा है के सम्पूर्ण ऐश्वर्य को भगवान कहते हैं. क्या श्री राम में सम्पूर्ण ऐश्वर्य था?अगर नहीं था तो फिर श्री राम एक भगवान कैसे हुए?श्री राम एक भगवान नहीं हैं तो उन्हें यह उपाधि क्यों दी जाती है?

अब हम भगवान का अर्थ समझते हैं - भग+ वान यह "भग" धातु से बना है ,भग के 6 अर्थ है:- 1-पूर्ण ज्ञान (full knowledge) 2-पूर्ण बल (Full force) 3-पूर्णधन (Full money) 4-पूर्णयश 5-पूर्णसौंदर्य और 6-पूर्णत्याग जिसके पास ये 6 गुण है वह भगवान है।भगवान के ये 6 अर्थ भी श्री राम से नहीं मिलते हैं इसलिए श्री राम को भगवान की उपाधि देना ठीक नहीं है !

श्री राम क्यों एक भगवान नहीं हो सकते हैं?

भगवान होने के लिए सब से पहला गुण है पूर्ण ज्ञान (full knowledge),क्या श्री राम के पास पूर्ण ज्ञान था?नहीं था.अगर पूण ज्ञान था तो फिर उनकी पत्नी सीता का हरण कैसे होगया??हरण हो भी गया तो श्री राम एक भगवन थे उन्हें पता होना चाहिए के किस ने और कैसे हरण किया है,अगर श्री राम भगवान थे तो उन्हें ये भी पता होना चाहिए था कि सीता को हरण कर के कहां ले जाया गया है,और उनकी सीता किस अवस्था में है!

रामायण से यही पता चलता है के श्री राम को सीता का हरण होना,किस ने हरण किया, कैसे हरण किया, कहाँ ले गया इन सब बातों का कोई ज्ञान नहीं था.जब पूण ज्ञान नहीं था तो फिर भगवान के अर्थ के अनुसार  श्री राम एक भगवन नहीं हो सकते हैं!और श्री राम को भगवान की उपाधि नहीं देना चाहिए.

श्री राम केवल एक राजा थे बहुत अच्छे राजा थे जिन्हे अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ा था.क्या एक भगवान अपनी पत्नी को ढूँढने तक में सक्षम नहीं हो सकता?फिर वो कैसा भगवान है जो बंदरो और भालुओ का सहारा ले? 

पूर्ण ज्ञान (full knowledge) श्री राम के पास नहीं था जरा भी नहीं था,अगर ज्ञान होता तो कम से कम उन्हें ये पता चलता कि उनकी पत्नी सीता कहाँ है और किस अवस्था में है.धार्मिक दृष्टिकोण से कोई भी तर्क वितर्क दिया जा सकता है ऐसा था वैसा था सब उनको पता था लेकिन रामायण केव्याकुल से ये पता चलता है के सीता के हरण होने से श्री राम कितने दुखी और ब्याकुल थे.एक भगवान कभी दुखी और व्याकुल नहीं हो सकता है!

अब हम बात करते हैं पूर्ण बल (Full force) की, अगर श्री राम के पास पूर्ण बल था तो फिर छुपकर बाली का वध क्यों किया?बाली में जो भी गुण थे या किसी का भी वरदान था लेकिन श्री राम तो एक भगवन थे जिन में पूर्ण बल (Full force) था.पूर्ण बल वाला भगवान कभी छुपकर किसी का वध नहीं कर सकता है,

एक भगवान कभी भी किसी का सहारा नहीं लेता बंदरो और भालुओ का सहारा लेकर अपनी पत्नी सीता के हरण होने का पता लगाया और एक साहसी योधा को पीठ पीछे वार करके मारा.क्या सच में भगवान ऐसा होता है?

छल कपट से श्री राम ने रावन जेसे योधा को मारा, एक भगवान कभी छल कपट नहीं कर सकता है इससे यही सिद्ध होता है के श्री राम एक भगवान नहीं थे, भगवान अर्थ का दूसरा पूर्ण बल (Full force) ये भी श्री राम में नहीं पाया जाता था फिर श्री राम को भगवान की उपाधि कैसे दी जा सकती है और श्री राम एक भगवान कैसे हो सकते हैं?

अब हम बात करते हैं पूण धन (Full money) की , श्री राम के पिता एक राजा थे इसलिए पिता के बाद श्री राम को ही राजा बनना था,परन्तु घरेलु मतभेद के कारण श्री राम राजा नहीं बने और फिर उनका वनवास हो गया,फिर अपनी आधी ज़िन्दगी जंगल में बंदरो और भालुओ के साथ गुज़री,जहाँ उन के पास कोई धन नहीं था!ये बात पूण धन की नहीं है यहाँ ये सोचने वाली बात है के क्या भगवन आपसी मतभेद से बेबस हो सकता है?क्या भगवान किसी हालात से मजबूर हो सकता है?फिर श्री राम कैसे भगवन थे जो किसी एक आदमी के कुछ बोलने पे अपनी पत्नी को फिर से वनवास भेज दिया?

श्री राम के लिए मर्यादा पुरूषोत्तम बोलना भी कुछ कठिन सा शब्द लग रहा है,सिर्फ एक मछुआरे की बात मानकर सीता को अग्नि मै छलांग लगाने का आदेश देना ये क्या साबित करता है, श्री राम को अपनी पत्नी के चरित्र पर शक नहीं था लेकिन क्या भगवान को भी परीक्षा देने की आयश्यकता है?परीक्षा तो एक आम मनुष्य ही देता है,अपनी गलती की सफाई एक आम मनुष्य ही देता है एक भगवन नहीं!

अब हम बात करते हैं पूर्णयश और पूर्णसौंदर्य की, ये कोई खास गुण नहीं है जिसकी हम विस्तार से चर्चा करें,हो सकता है श्री राम में पूर्णयश और पूर्णसौंदर्य हो,ये अपने दृष्टि की बात है.

अब हम बात करते हैं पूर्णत्याग की,श्री राम की जीवनी पढ़ने से यह पता चलता है के श्री राम में पूर्णत्याग था,यह पूर्ण त्याग था जिसने राम को श्री राम बनाया या भगवान् बनाया,अपना घर छोड़ा,पिता के आदेश का पालन किया,अपनी पत्नी को दूर किया,राज महल में रहते हुए भी एक साधारण जीवन जिया,जनता के प्रति खुद को समर्पित किया,इसलिए राम एक राजा से श्री राम भगवान हो गए!

सारांश
भगवान का मतलब ईश्वर या परमेश्वर नहीं होता है,आदरणीय महापुरुषों को उपाधि के रूप में दिया जाता है,श्री राम एक भगवान नहीं थे लेकिन उनका पूर्णत्याग उन्हें भगवान बना दिया और श्री राम को भगवान की उपाधि दी गयी.लेकिन जो अर्थ भगवान  का होता है उस अर्थ पे श्री राम पुरे पुरे साबित नहीं होते हैं.मैं किसी के आस्था को ठेस पहुंचाने के लिए ये पोस्ट नहीं लिखा हूँ,अगर आप मेरी बात से संतुष्ट नहीं हैं तो कमेंट करें और मुझे सुझाव दें! आप की प्रतिक्रिया और ज्ञान सर आँखों पे...

2 comments:

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