बूढी गंडक जहरीली नदी का मसीहा कौन?
बूढी गंडक जहरीली नदी का मसीहा कौन? : बूढ़ी गंडक नदी जिससे हम पश्चमी चम्पारण की नदी कह सकते है जो चमपारण के चऊतरवा चौर से निकलती है, ये चऊतरवा चौर रामनगर व बगहा के बीच स्थित है। चऊतरवा चौर और उसके आस पास इलाक़े में बूढ़ी गंडक नदी का विशाल रूप देखने को नहीं मिलता लेकिन जैसे जैसे यह पूरब की ओर बढ़ती है विशाल रूप धारण करती जाती है। यह कहना जरा भी गलत नहीं होगा की बूढी गंडक नदी एक जहरीली नदी है या इससे जहरीली बना दी जाती है। चम्पारण की बूढी गंडक जहरीली नदी पूछती है कि आखिर मेरा मसीहा कौन है? क्यों किसी को मेरी तरफ ध्यान नहीं जाता है?
अगर आप को इस बूढी गंडक नदी की चिंता है और इस अभियान में शामिल होना चाहते हैं तो आप भी इस बारे में लिखें और इस बात को आगे तक पहुंचाएं। आप सब को यह जान कर आश्चर्य होगा की बूढी गंडक नदी उत्तर बिहार की सबसे लम्बी नदी के रूप में जाना जाता है। मुझे यह भी बताने में ख़ुशी हो रही है की बूढ़ी गंडक नदी की लम्बाई 320 किलोमीटर व जलागम क्षेत्र 12,021 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 9,601 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बिहार राज्य के अंतर्गत व शेष क्षेत्र नेपाल में आता है. यह नदी अपने 320 किलोमीटर के इस सफर में बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, खगड़िया समेत कई अन्य जिलों से होकर गुजरती है। यह पूरी जानकारी देने का एक मक़सद है,जो मैं आगे लिख रहा हूँ।
बूढी गंडक नदी का महत्व
जैसा की मैंने ऊपर लिखा है की बूढी गंडक नदी की लम्बाई 320 किलोमीटर है, यह नदी अपने 320 किलोमीटर के इस सफर में बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, खगड़िया समेत कई अन्य जिलों से होकर गुजरती है।
पस्च्मि चम्पारण और पूर्वी चम्पारण का अधिकतर गाँव बूढी गंडक नदी के किनारे बसा हुआ है। हम सब जानते हैं कि गांव में किसान लोग रहते हैं जिनका जीवन इसी बूढी गंडक नदी पर निर्भर करता है, मवेशी,किसान, साधु संत, गाँव के मछुवारे और जितने भी जंगल में रहने वाले पशु पक्षी इसी बूढी गंडक नदी के पानी पर निर्भर रहते हैं।
यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की बूढी गंडक नदी पस्च्मि चम्पारण और पूर्वी चम्पारण के लिए जीवन दाता के रूप में जानी जाती है। बूढी गंडक नदी हर साल सैलाब से तबाही मचाती है लेकिन इस नदी से लोगों को इतना फायदा है कि अपनी तबाही हर साल भूल जाते हैं, और इस नदी के किनारे रहना अपने जीवन की सफलता समझते हैं।
बूढी गंडक जहरीली नदी क्यों?
यह नदी प्राकृतिक तौर से जहरीली नहीं है इसका पानी पीने योग्य है और बहुत मीठा पानी है लेकिन इसे जहरीला बना दिया जाता है। कारण बस एक है- शुगर मिल्स!!!! माननीय मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार के शाशन काल से पहले भी बूढी गंडक नदी में शुगर मिल्स अपना जहरीला पानी डालते थे लेकिन एक वर्ष में केवल एक या दो बार लेकिन श्री नितीश कुमार के शाशन काल में शुगर मिल्स महीने में एक या दो बार जहरीला पानी डालते हैं जिससे पूरी नदी का पानी जहरीला हो जाता है।
अब बूढी गंडक नदी सैलाब के दिनों को छोड़ कर पूरे साल जहरीली ही रहती है, जंगली पशु-पक्षी पानी पिए बिना मर जाते हैं,बूढी गंडक नदी के किनारे रहने वाले लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बूढी गंडक नदी में रहने वाले हजारों जीव और मछलियां भी मर जाती हैं और नदी का पानी कई दिनों तक काला और जहरीला रहता है। यह पानी किसी भी काम का नहीं रहता है,यहां तक की किसी भी जंतु के पीने योग्य नहीं रहता है।
बिहार सरकार का ध्यान इस ओर केन्द्रित करते हुए हम सब चम्पारण निवासीअनुरोध करते हैं की इस समस्या का समाधान किया जाये, शुगर मिल्स वालों से भी अनुरोध है कि महीने में दो बार जहरीले केमिकल्स नदी में ना डालें, बिहार सरकार के आदेश अनुसार काम करें। माननीय मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार से अनुरोध है की इस समस्या का निवारण करने में सख्ती से काम लें, हम सब आप से अच्छी उम्मीद रखते हैं।
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