घर तक फाइबर मगर 40% बिहारिओं के पास घर नहीं
घर तक फाइबर मगर 40% बिहारिओं के पास घर नहीं : बिहारियों के बीच ख़ुशी की लहर है और इससे बिहार के लिए एक क्रांति माना जा रहा है क्यूंकि अब बिहार में घर तक फाइबर होने वाला है। हम सब बचपन से एक अनुक्रम सुनते आये हैं की रोटी,कपड़ा और मकान, लेकिन ऐसा लगता है कि नए दौर में यह अनुक्रम थोड़ा चेंज हो गया है- इंटरनेट, भूख और मौत। हम सब जानते हैं कि बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ रोजगार की कोई सुविधा नहीं है जिस के कारण 65% से अधिक लोग दूसरे राज्य में काम करने जाते हैं जिस के कारण बिहारियों को हेच नज़र से देखा जाता है।
गरीबी के कारण 40% लोगों के पास स्थायी या पक्के मकान नहीं है, ऐसे लोगों के लिए घर तक फाइबर क्रांति का क्या अर्थ होगा यह आगे देखने वाली बात होगी।
बिहार की बुनयादी समस्याओं को नज़रंदाज़ करते हुए प्रधाममंत्री मोदी ने कहा कि ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रत्येक गाँव में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना एक ऐतिहासिक निर्णय है और कहा कि सरकार गाँवों को आत्मानिभर भारत ’का मुख्य आधार बनाना चाहती है।
एक बात बहुत ईमानदारी से बता देना चाहता हूँ की मैं किसी भी सरकार के खिलाफ नहीं हूँ क्यूंकि जो भी करना है इसी सरकार को करना है लेकिन बिहार के समस्याओं के बारे में सूचित करना और बार बार सूचित करना हमारा कर्तब्य होना चाहिए। बिहार सरकार और भारत सरकार से विनम्र प्रार्थना है की बिहार के समस्याओं के बारे में भी ध्यान दिया जाये।
चम्पारण से पटना तक पूरा इलाका बाढ़ में डूबा रहता है जिससे हर साल बिहार में तबाही होती है, जान,माल,फसल और सड़क तक टूट जाते हैं,कहने का तात्पर्य यह है कि बिहार में बाढ़ के समस्याओं का समाधान किया जाये।
वैसे प्रधानमंत्री मोदी ने घर तक फाइबर के विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा कि उच्च गति वाली इंटरनेट सेवा छात्रों को अग्रणी पठन सामग्री प्रदान करेगी और बीज, नई खेती की तकनीक, मौसम की स्थिति के वास्तविक समय के आंकड़ों और किसानों को दूसरों के बारे में प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के साथ टेलीमेडिसिन तक भी पहुंच प्रदान करेगी।
बिहार में घर तक फाइबर कितना जरुरी है यह बिहार के रहने वाले अच्छी तरह समझ सकते हैं। यह वही बिहार है जिसका गरीबी से चोली दामन का साथ रहा है। यह वही बिहार है जहाँ रोजगार नहीं है और बिहारी अपनी रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्य में जाते हैं जहाँ उन्हें बिहारी होने का ताना सुनना पड़ता है। यह बिहार वही राज्य है जहाँ के मजदूर लॉकडाउन जैसे आपदा में दिल्ली,मुंबई से पैदल अपने राज्य पहुँच जाते हैं तब किसी को इनकी याद नहीं आती है।
ये बिहार वही राज्य है जहाँ बाढ़ के दिनों में कितने लोगों का घर,मवेशी तथा फसल बर्बाद हो जाता है तब कोई इनका मसीहा नहीं होता।समस्याएं बहुत है पर समाधान करने वाला कोई नहीं क्यूंकि बिहारिओं की याद केवल इलेक्शन के वक्त ही आती है, और भला क्यों नहीं आये क्यूंकि बिहारिओं का वोट सबसे ज्यादा सस्ता है- 5 किलोग्राम राशन और थोड़े पैसे या फिर फिर एक वोट के लिए 500 रुपये जो है।
बिहार में घर तक फाइबर के साथ भविष्य में एक बहुत बड़ी समस्या हो सकती है, बाढ़ के दिनों में जब घर भी नहीं बचता है तब क्या यह फाइबर अपनी जगह क़ायम रह सकते हैं?जब यह फाइबर बाढ़ के चपेट में आएगा तब पता भी नहीं चलेगा कि कितना किलोमीटर फाइबर गायब हो गया,ठीक उसी तरह जो 2017 के बाढ़ में टूटे हुए सड़क अभी तक ठीक नहीं हो सके हैं।
वैसे बिहार के ऊपर केंद्र सरकार की काफी नजर है जिसके लिए केंद्रीय दूरसंचार और आईटी मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के दानापुर टेलीफोन एक्सचेंज में न्यू बिहार विधान मंडल कंपाउंड और भारत एयरफ़िबरे सेवा में अगली पीढ़ी के नेटवर्क टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन किया है।
एक प्रेस सूचना के अनुसार 1000 दिनों में 6 लाख से अधिक गांवों को जोड़ने की दिशा में पहले कदम के रूप में, पीएम मोदी ने सोमवार को बिहार में एक परियोजना शुरू की, जिसमें 640 करोड़ रुपये की लागत से उच्च गति वाले ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवा के साथ बिहार के 45,945 गांवों को जोड़ने का प्रयास है। क्या इस चुसनी से बिहारियों का काम चल जायेगा? बिहार में अनेक समस्याएं हैं जिन के बारे में पहले सोचा जाना चाहिए।
बिहार में गरीबी और घर की समस्या
बिहार में गरीबी की समस्या कोई नयी नहीं है, इसके पीछे मुख्य कारण है की बिहार में रोजगार का कोई साधन नहीं है, बिहार में लगभग 65% गरीब लोग हैं जो रोज़ काम करते हैं और अपने परिवार का पेट पालते हैं। ऐसे लोग फ़ास्ट स्पीड इंटरनेट का क्या करेंगे?गरीबी के कारण 40% लोगों के पास स्थायी या पक्के मकान नहीं है, ऐसे लोगों के लिए घर तक फाइबर क्रांति का क्या अर्थ होगा यह आगे देखने वाली बात होगी।
बिहार की बुनयादी समस्याओं को नज़रंदाज़ करते हुए प्रधाममंत्री मोदी ने कहा कि ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रत्येक गाँव में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना एक ऐतिहासिक निर्णय है और कहा कि सरकार गाँवों को आत्मानिभर भारत ’का मुख्य आधार बनाना चाहती है।
एक बात बहुत ईमानदारी से बता देना चाहता हूँ की मैं किसी भी सरकार के खिलाफ नहीं हूँ क्यूंकि जो भी करना है इसी सरकार को करना है लेकिन बिहार के समस्याओं के बारे में सूचित करना और बार बार सूचित करना हमारा कर्तब्य होना चाहिए। बिहार सरकार और भारत सरकार से विनम्र प्रार्थना है की बिहार के समस्याओं के बारे में भी ध्यान दिया जाये।
बिहार में बाढ़ की समस्या
पुरे भारत में बिहार एक ऐसा राज्य है जहां बाढ़ की समस्या सबसे अधिक है, लगभग तीन महीने पुरे बिहार में बाढ़ का कहर रहता है जिस के कारण जान माल का हर साल काफी नुकसान होता है। बिहार में बाढ़ से हर साल कितना नुकसान होता है ये पूरी दुनिया जानती है, यहाँ अलग से बताने की जरुरत नहीं है।चम्पारण से पटना तक पूरा इलाका बाढ़ में डूबा रहता है जिससे हर साल बिहार में तबाही होती है, जान,माल,फसल और सड़क तक टूट जाते हैं,कहने का तात्पर्य यह है कि बिहार में बाढ़ के समस्याओं का समाधान किया जाये।
वैसे प्रधानमंत्री मोदी ने घर तक फाइबर के विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा कि उच्च गति वाली इंटरनेट सेवा छात्रों को अग्रणी पठन सामग्री प्रदान करेगी और बीज, नई खेती की तकनीक, मौसम की स्थिति के वास्तविक समय के आंकड़ों और किसानों को दूसरों के बारे में प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के साथ टेलीमेडिसिन तक भी पहुंच प्रदान करेगी।
बिहार में घर तक फाइबर कितना जरुरी है यह बिहार के रहने वाले अच्छी तरह समझ सकते हैं। यह वही बिहार है जिसका गरीबी से चोली दामन का साथ रहा है। यह वही बिहार है जहाँ रोजगार नहीं है और बिहारी अपनी रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्य में जाते हैं जहाँ उन्हें बिहारी होने का ताना सुनना पड़ता है। यह बिहार वही राज्य है जहाँ के मजदूर लॉकडाउन जैसे आपदा में दिल्ली,मुंबई से पैदल अपने राज्य पहुँच जाते हैं तब किसी को इनकी याद नहीं आती है।
ये बिहार वही राज्य है जहाँ बाढ़ के दिनों में कितने लोगों का घर,मवेशी तथा फसल बर्बाद हो जाता है तब कोई इनका मसीहा नहीं होता।समस्याएं बहुत है पर समाधान करने वाला कोई नहीं क्यूंकि बिहारिओं की याद केवल इलेक्शन के वक्त ही आती है, और भला क्यों नहीं आये क्यूंकि बिहारिओं का वोट सबसे ज्यादा सस्ता है- 5 किलोग्राम राशन और थोड़े पैसे या फिर फिर एक वोट के लिए 500 रुपये जो है।
बिहार में घर तक फाइबर के साथ भविष्य में एक बहुत बड़ी समस्या हो सकती है, बाढ़ के दिनों में जब घर भी नहीं बचता है तब क्या यह फाइबर अपनी जगह क़ायम रह सकते हैं?जब यह फाइबर बाढ़ के चपेट में आएगा तब पता भी नहीं चलेगा कि कितना किलोमीटर फाइबर गायब हो गया,ठीक उसी तरह जो 2017 के बाढ़ में टूटे हुए सड़क अभी तक ठीक नहीं हो सके हैं।
वैसे बिहार के ऊपर केंद्र सरकार की काफी नजर है जिसके लिए केंद्रीय दूरसंचार और आईटी मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के दानापुर टेलीफोन एक्सचेंज में न्यू बिहार विधान मंडल कंपाउंड और भारत एयरफ़िबरे सेवा में अगली पीढ़ी के नेटवर्क टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन किया है।
बिहार के गाँव की चिंता इतनी बढ़ गयी है की UPI के माध्यम से 3 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन को पंजीकृत किया गया है। "इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि के साथ, अब यह भी आवश्यक है कि देश के गांवों में अच्छी गुणवत्ता, उच्च गति इंटरनेट हो।" देखा बिहार के गाँव वालों की कितनी चिंता है? बिहार के अक्सर चीनी मिल्स किसानो के गन्ने का पैसा भुगतान नहीं कर रहे हैं,किसान बेहाल हैं इस विषय पर कभी चर्चा नहीं होती है, वर्ष 2019 के गन्ने का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है, क्या इन चीनी मिल्स वालों के लिए कोई कायदा कानून नहीं है??
प्रिये मित्रो हो सकता है बहुत लोगों को मेरी बात पसंद नहीं आयी हो क्यूंकि समयों में दब कर जीना हमारा जन्म से अधिकार है। हम बिहारी दो-तीन दिन तक भूखे रह सकते हैं लेकिन किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते हैं। बिहार में घर तक फाइबर के खिलाफ नहीं हूँ...बिलकुल नहीं हूँ लेकिन हमारे साथ बहुत सारी समस्याएं हैं जिनका समाधान पहले होना बहुत जरुरी है। एक हज़ार दिन बाद आप सब को हाई स्पीड इंटरनेट मिलेगा लेकिन उस इंटरनेट का भुगतान कहाँ से करोगे?? क्या बच्चों की पढ़ाई रोक कर या फिर अपने घर वालों का इलाज़ रोक कर? बाढ़ का वीडियो और बाढ़ से तबाह हुयी अपनी जागीर का वीडियो हाई स्पीड इंटरनेट से बहुत जल्दी अपलोड हो जाएग इसलिए बिहार में घर तक फाइबर बहुत जरुरी है।
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