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दुर्गा माता कैसे प्रकट होती हैं और आप से कैसे प्रसन्न होंगी

हिन्दू धर्म में दुर्गा माता की देवियों में सर्वोच्च स्थान है।जो दुर्गा माता में विश्वास नहीं रखता उसे हिन्दू धर्म का कलंक ही कहा जायेगा,दुर्गा माता के कई अलग अलग नाम है किसी नाम से भी माना जा सकता है,दुर्गा माता के नाम में कोई भेद भाव नहीं है. उन्हें अम्बे, जगदम्बे, शेरावाली, पहाड़ावाली आदि नामों से पुकारा जाता है।

संपूर्ण भारत भूमि पर अलग अलग स्थानों पर दुर्गा माता की सैंकड़ों मंदिर स्थापित है। ज्योतिर्लिंग से ज्यादा शक्तिपीठ है। सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती ये त्रिदेव की पत्नियां हैं। इनकी कथा के बारे में पुराणों में भिन्न भिन्न जानकारियां मिलती है। पुराणों में दुर्गा माता की रहस्य के बारे में खुलासा होता है।विशेष जानकारी के लिए आप सब पुराण भी पढ़ सकते है!
दुर्गा माता की जय
बोलो दुर्गा माता की जय

दुर्गा माता की उत्पत्ति कैसे हुयी

जैसा की मैं पहले ही लिख चूका हूँ के दुर्गा माता को शक्ति, भवानी, और जगदम्बा जैसे कई नामों से पूजते हैं ! पुराण में लिखी कथाओं के अनुसार दुर्गा माता का जन्म राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ था। यही कारण हैं कि हम नवरात्र में 
दुर्गा माता की पूजा करते हैं !

संछेप में बताना चाहूंगा के दुर्गा माता की उत्पत्ति कैसे और किस लिए हुई थी, महिषासुर ने अमर होने का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने कहा जन्मे हुए जीव का मरना तय होता है। महिषासुर ने बहुत सोचा और फिर कहा- आप मुझे ये आशीर्वाद दें कि देवता, असुर और मानव कोई भी मुझे नहीं मार पाए। किसी स्त्री के हाथ से ही मेरी मृत्यु हो। ब्रह्माजी 'एवमस्तु' यानी ऐसा ही हो कह कर अपने लोक चले गए। वरदान पा कर महिषासुर ने तीनो लोकों पर आतंक मचा दिया। फिर उसने देवताओं के इन्द्रलोक पर आक्रमण किया। जिससे सारे देवता परेशान हो गए। इसके चलते सभी देवता ने देवी का आवाहन किया और तब देवी दुर्गा माता की उत्पत्ति हुई। कहा जाता है कि देवी दुर्गा माता का युद्ध महिषासुर से नौ दिनों तक चला था। और नवे दिन दुर्गा माता ने महिषासुर का वध किया था। संछेप में आपने जाना कि दुर्गा माता की उत्पत्ति कैसे हुई और क्यों हुयी.

दुर्गा माता किसी मनुष्य पे कैसे प्रकट होती हैं

भजन या आरती के समय दुर्गा माता की याद में लीन होने वाले मनुष्य पे ही दुर्गा माता अपनी खास कृपा करती हैं,ऐसे ली होना पड़ता के मनुष्य खुद को भूल जाये,मनुष्य के ह्रदय और मष्तिक में दुर्गा माता के सिवा कोई बात नहीं हो, एक सज्जन ने बहुत अच्छा अपनी ब्यक्तिगत बात लिखी है जो सच हो सकती है, ये धार्मिक आस्था की बात है इसलिये मैं कोई टिपणी नहीं करूँगा !

पढ़िए एक सज्जन की आपबीती

ये मेरा अपना ब्यक्तिगत अनुभव है और मै ने साक्षात् ऐसे लोगों का दर्शन किया है जिन पे आरती के समय दुर्गा माता सवार हो जाती हैं !ये बात धार्मिक दृष्टि से कितना सत्य है मुझे इसका ज्ञान नहीं है परन्तु जो मैं ने खुद से अनुभव किया और जो मेरे साथ हुआ उसी को लिख रहा हूँ !

साल 2006 में एक टेलीकॉम कंपनी में काम कर रहा था मुझे भोपाल से नर्सिंघ्पुर स्थान पे एक O&M इंजीनियर के रूप में भेजा गया,मैं वहां 4 महिना रहा और काम किया.जब नर्सिंघ्पुर की बात हो और गोलू भाई का नाम ना आये तो मुझे लगता है के बात अधूरी रह जायेगी! 

जब मैं नर्सिंघ्पुर गया तो वहां नया घर,बिस्तर,खाना यहाँ तक के जरूरत की हर चीज़ गोलू भाई पूरा  कर दिया करते थे,मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई,गोलू भाई एक बहुत ही सीधे सादे इंसान मिले! हाँ यहाँ एक बात बताता चलूँ के गोलू भाई हिन्दू धर्म से थे और मैं मुसलमान,गोलू भाई की माता जी बहुत धार्मिक थी और मेरी बहुत आदर करती थी,उन्होंने ने बताया था के वो भगवान शिव की सही में अपने सामने दर्शन कर चुकी हैं.माता जी कई बार मुझे भोजन के लिए दावत भी दी थी!

कुछ दिनों बाद हिन्दू भाइयों का एक पर्व आया जिसमे दुर्गा माता को 9 दिन के लिए बैठाया जाता है,जिससे शायद नवरात्री कहते हैं! जब गोलू भाई के मोहल्ले के लिए दुर्गा माता को मुर्तिकार के यहाँ से लाना था तो मैं भी लाने गया था,जो मेरे लिए एक बिलकुल नया अनुभव था,दुर्गा माता बैठा दी गयी खूब अच्छी तरह सजा दिया गया और बहुत अच्छा लगने लगा,मैं दिल ही दिल में सोचा के चलो कुछ दिन अच्छा लगेगा चहल पहल रहेगी! और लोग धार्मिक काम में लगे रहेंगे,लेकिन थोड़ी सी रात होने पे क्या देखता हूँ के दुर्गा माता के ठीक परदे के पीछे दारु,जुवा,और सट्टा का बाजार गर्म होगया है,मुझे ये सब देख के बहुत आश्चर्ज हुआ मैं ने गोलू भाई से पूछा कि ये सब क्या है?ये सब तो किसी भी धर्म में नहीं है तो बताया के सब होता है !

गोलू भाई हर दो दिन पे कभी 200-300-500 रुपैया मुझ से मांग के ले जाता था,लेकिन फिर वापस भी कर देता था,मैं ने एक रोज़ पूछा के पहले तो ऐसा नहीं करते थे अब ऐसी कौन की जरूरत पड़ जाती है? बताया कि जुआ और सट्टा में लगाता हूँ,फिर हर रोज़ जीतने वाले की कहानी सुनाता था के आज इसने इतना  जीता आज उसने इतना जीता,मैं उसकी पूरी बात बहुत ध्यान से सुनता फिर मैं ने पूछा के तुम ने हारने वाले का एक भी नाम नहीं बताया?मैं ने उसको बहुत समझाया मैं ने उस के दिमाग में ये बात बैठा दिया के सिर्फ जीता ही  नहीं जाता है कोई हारता था तभी कोई जीतता भी है !मेरे बहुत समझाने पे उसने क़सम खायी के अब मैं कभी जुआ और सट्टे में पैसा नहीं लगाऊंगा !

अब हम लोग हर शाम कहीं घूमने जाने लगे,एक रोज़ बोला के (हाँ मैं उसको गोलू भाई बोलता था और वो मुझे सर जी बोलता था) सर जी यहाँ एक बहुत बड़ा मंदिर है वहां हर शाम बहुत अच्छी आरती होती है आज वही चला जायेगा मैं ने भी कहा कि ठीक है !

शाम को हम मंदिर गए आरती शुरू थी कुछ महिलाएं और कुछ लड़कों पे दुर्गा माता प्रकट हो चुकी थी,और उन के लिए एक खाली जगह थी जहाँ वह दुर्गा माता के आगमन प्रकट कर रहे थे,आरती बहुत जोर पे थी थोड़ी देर में मेरा भी पैर थिरकने लगा और अपना कंट्रोल खोने लगा !

मेरी शारीरिक शक्ति लींन होने लगी मुझे ऐसा लगा कि मैं भी उन लोगों में अभी चला जाऊंगा, फिर अपने दिमाग को झटका और होश में लाया,और गोलू भाई से बोला के अभी फिर किसी पे दुर्गा माता जी प्रकट होंगी,अभी मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी कि हमारे दायें तरफ पीछे से एक आदमी हू हू हू हू हू हू करता हुआ उस जगह चला गया जहाँ पे दुर्गा माता प्रकट हुए लोग नाच रहे थे !

जब हम वहां से वापस हुये तो गोलू भाई ने मुझ से पूछा कि सर जी आप को कैसे पता चला के किसी पे दुर्गा माता जी प्रकट होने वाली है?मैं कोई ख़ास उत्तर नहीं दिया मैंने बोला कि बस पता चल गया,उसने बहुत जिद्द किया लेकिन मैं ने नहीं बताया !

फिर मैं ने बहुत अध्ययन कियाऔर पाया के कोई दुर्गा माता जी प्रकट नहीं होती हैं ये सिर्फ उन ब्यक्ति पे होता है जो बहुत ज्यादा लींन हो जाते हैं और वो मनुष्य अपना कंट्रोलिंग पावर या विल पॉवर खो देता है, इतना जोश आजाता है के खुद को दुर्गा माता जी के रूप में समझने लगता है,उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है और दिल पूरी तरह इमोशनल हो जाता है,जैसा कि मेरे साथ हुआ था !

अगर दुर्गा माता किसी पे प्रकट होती तो उस मनुष्य पे ऐसे भी कभी बिना आरती के प्रकट होती लेकिन ऐसा नहीं होता है,अगर भगवान् किसी आम मनुष्य पे प्रकट होने लगे तो फिर भगवान् का क्या स्तित्व रह जायेगा??

दुर्गा माता कैसे प्रसन्न होंगी  

पहले ही लिख चुका हूँ के दुर्गा माता की उत्पत्ति क्यों हुई है-अधर्म को मिटाने के लिए,अहंकार को मिटाने के लिए,अगर हम सब धर्म के रास्ते पे चले तो अवश्य दुर्गा माता हम पे खास कृपा करेंगी और हम सब से  प्रसन्न होंगी, कुछ मनुष्य ये समझते हैं के बहुत बड़ा धर्म का काम कर रहा हूँ और मुझे इसका पुण्य मिलेगा, लेकिन धर्म की आड़ में बहुत बड़ा अधर्म कर जाते हैं ऐसे लोग पुण्य नहीं पाप का भागी होते हैं,किसी भी धर्म का काम है किसी मनुष्य से दूसरे मनुष्य को कष्ट न पहुंचे,अगर आप से किसी मनुष्य को कष्ट पहुचती है तो आप अधर्म कर रहे हैं और फिर दुर्गा माता या कोई भी भगवन आप से खुश नहीं होगा !

दुर्गा माता बहुत ही कृपालु है अपने भक्तों को कभी उदास नहीं देख सकती है,जो सच्चे मन्न से सुबह अस्नान कर के दुर्गा माता की मंदिर में माता की याद में लीं हो के अपनी समस्या उन के सामने रखेगा उसकी समस्या का हल जरूर निकालेगी,सच्चे मन और शांत दिमाग से सच्ची श्रद्धा के साथ माँगि हुयी जरुरत अवश्य पूरी होती है.माता के चरणों का स्पर्श जरूर लें,और माता को भोग चढ़ाना न भूलें !

दुर्गा माता की मंदिर के सामने बैठे बिखरीओं को भी दुर्गा माता के नाम से दान पुन्न करें,दान पुन्न करने से आप का कुछ नहीं जाता दुर्गा माता उससे कहीं ज्यादा आप को प्रदान करेंगी,बिखरीओं को हीं नज़र से नहीं देखें,याद रखें कि ये सब दुर्गा माता का ही आशीर्वाद है के आप को इतना सक्छम बनाया है के आप किसी को दान पुन्न कर सकें !

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