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स्वच्छ भारत अभियान का शौचालय खा रहे हैं सरकारी कर्मचारी

स्वच्छ भारत अभियान का शौचालय खा रहे हैं सरकारी कर्मचारी: प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान नई दिल्ली राजपथ से शुरू की,ये परिकल्पना तभी की जा सकता है जब हम सब जारूक रहेंगे,जब हम सब चाहेंगे,प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान की सराहना जितनी भी की जाए बहुत कम है.ऐसा लगता था कि महात्मा गांधी का स्वच्छ भारत का सपना प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा पूरा हो जायेगा लेकिन बड़ी तेजी से सरकारी कर्मचारी स्वच्छ भारत अभियान का शौचालय खा रहे हैं !

सरकारी कर्मचारियों का शौचालय खाने की यही गति रही तो स्वच्छ भारत अभियान केवल प्रधानमंत्री के भाषण में ही रह जायेगा .इसमें प्रधानमंत्री की कोई गलती नहीं है, प्रधानमंत्री घर घर जा के शौचालय नहीं बनवा सकते हैं, और ये सरकारी कर्मचारी शौचालय बनने नहीं देंगे,फिर स्वच्छ भारत अभियान कैसे सफल होगा?
Swachh Bharat Abhiyan ka ek nazara
Swachh Bharat Abhiyan

स्वच्छ भारत अभियान का काला सच

आज हम बिहार राज्य की बात करते हैं क्यों के बिहार राज्य ही भारत में सब से पिछड़ा राज्य है. बिहार के गाँव में जो थोड़े ठीक ठाक लोग हैं वह अपने घर में शौचालय पहले से ही बनवा लिए हैं,मेरे सर्वे के अनुसार लगभग 65-70 प्रतिशत लोग पहले से ही शौचालय बनवा लिए हैं,25-30 प्रतिशत वो लोग हैं जिन्हे शौचालय बनवाने की छमता नहीं है !

या ये कह सकते हैं की वह नहीं बनवा सकते,जो हर रोज़ कमा के खाने की हैसियत रखते हैं,ऐसे ही लोगों के लिए स्वच्छ भारत अभियान शौचालय का प्रावधान ले के आया है,मज़े की बात ये है के एक शौचालय के लिए स्वच्छ भारत अभियान द्वारा Rs.12००० मिलेगा. पहले पूरी बात तो जान लें तब पूरा मज़ा लीजियेगा !

स्वच्छ भारत अभियान पैरामीटर के अनुसार पहले शौचालय बनवा लो मतलब अपने पैसे से पहले सरकार के पैरामीटर के अनुसार शौचालय बनवा लो,फिर अंचल से सरकारी कर्मचारी आएगा उस शौचालय का फोटो लेगा वह फोटो अंचल में जायेगा फिर उस फोटो पे चर्चा होगी अगर स्वच्छ भारत अभियान पैरामीटर के अनुसार शौचालय बना होगा तो पैसा मिलेगा और अगर थोड़ी बहुत कमी नज़र आई तो कोई पैसा नहीं मिलेगा !

अब आप ये न सोचे के पुरे Rs.12००० आप को ऐसे ही मिल जायेगा,ये Rs 12००० लेने के लिए आप को निचे से ऊपर तक कम से कम Rs.4००० सरकारी कर्मचारी को खिलाना पड़ेगा इसके अतिरिक्त आप को ऑफिस का 10 चक्कर लगाना बाकी है.अब ये गरीब आदमी अपना रोज़ी रोटी छोड़ कर ये सब करेगा क्या? वह तो यही सोचेगा कि इससे अच्छा है मैं खुले में ही शौच कर लूँ. ये एक सरल उपाय है जो स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय का पैसा ले सकते है !

दूसरा रास्ता ये है की आप अपने वार्ड कमिश्नर के द्वारा काम कराएं, वार्ड कमिश्नर Rs.1500-3000 ले कर आप का स्वच्छ भारत के तहत बनने वाले शौचालय का आवेदनपत्र आगे बढ़ाएगा,वार्ड कमिश्नर का कहता है के मुखिया से लेकर अंचल सहायक,ग्राम सेवक,सीईओ और ऊपर तक सब को देना पड़ता है और सब पैसा मांगते हैं !इतना देने के बाद जिस के पास शोचालय है या नहीं है सब को स्वच्छ भारत अभियान के शौचालय का पैसा मिलेगा !

स्वच्छ भारत अभियान के शौचालय का पैसा खा रहे कर्मचारी उन्हें भारत की साफ़ सफाई का जरा भी ख्याल नहीं है, ऐसा लगता है कि बिहार के सरकारी ऑफिस अंचल विभाग में लूट मची है.इस तूफानी लूट में जिस के पास शौचालय नहीं है वह Rs.8000-9000 में कैसे शौचालय बनवा लेगा?लेकिन सरकार के रिकॉर्ड में शौचालय जरूर बन जा रहा है और लोग आज भी उसी तरह सड़कों के किनारे और खुले में शौच कर रहे हैं !ये कैसा स्वच्छ भारत अभियान है?

मुझे तो उस वक़्त अजीब सा लगा जब पीएमओ का tweet पढ़ा ,पीएमओ लिखते हैं "पिछले एक हफ्ते में बिहार में 8 लाख 50 हज़ार से ज्यादा शौचालय का निर्माण किया गया है,जो गति और प्रगति कम काम नहीं है,मैं बिहार के लोगों को और प्रतीक श्वाच्चागढ़ी को और बिहार सरकार को इस के लिए बहुत बधाई देता हूँ-PM"

मुझे लगता है बधाई के पात्र केवल सरकारी कर्मचारी है जो स्वच्छ भारत अभियान के तहत इतनी जल्दी जल्दी शौचालय बनवा रहे हैं, मैं नहीं कहता के PM झूठ बोल रहे हैं या गलत बोल रहे हैं-बिलकुल बना होगा क्यों के उन के पास जो डाटा पेश किया गया होगा वह वही बोल रहे हैं.लेकिन ये सब शौचालय आखिर कहाँ बने हैं?जरा आप भी अपने गाँव शहर में थोड़ी सी जानकारी ले कर बताना!

स्वच्छ भारत अभियान सरकारी विभाग में नहीं

जैसा के आप सब जानते हैं कि बिहार एक पिछड़ा राज्य है बल्कि ये कह सकते हैं कि बहुत ही पिछड़ा राज्य है इस राज्य को बहुत कुछ करना बाक़ी है जो फिलहाल संभव नहीं के बराबर है. यहाँ जो सब से बड़ी कमी है वो है रोजगार या नौकरी की समस्या,हॉस्पिटल और सरकारी स्कूल में पढ़ाई का अस्तर, लेकिन इन सब मुद्दों को छोड़ कर आज कल शौचालय का बाजार गरम है,बहुत ही अच्छी बात है शौचालय होना ही चाहिए ये हर एक इंसान की जरुरत है,खुले में शौच करना बहुत ही हानिकारक है,इससे मनुष्य का जीवन बहुत प्रभावित होता है,लेकिन इससे एक बहुत बड़ी उपलभ्दी के तौर पे पेश करना ये कुछ ठीक नहीं लग रहा है.

अब आप ये सोच रहे होंगे कि क्यों ठीक नहीं लग रहा है?इसकी बहुत खास वजह है जो मैंने सर्वे किया है, मैं कुछ अस्थानों के बारे में बताता हूँ आप भी जरा सोचना के क्या ये सही है या गलत,आप अपने अंचल (Block) में जाते हैं वहां आप को किधर शौचालय नज़र आता है?अंचल एक ऐसी सरकार ऑफिस हैं जहाँ हर रोज़ कम से कम 500 लोग अपने काम काज के सिलसिले में जाते हैं. अंचल में आम आदमी के लिए कोई शौचालय का प्रबंध है क्या?जैसे मैं मझौवलिया अंचल की बात कर रहा हूँ वहाँ कोई शौचालय है?अगर किसी को जरुरत पड़ी तो कहाँ जायेगा? लुंगी में करेगा या पेंट में करेगा या फिर खुले में करेगा?स्वच्छ भारत अभियान का जन सुविधा कहाँ है?

Bettiah टाउन में कितने शौचालय हैं? स्वच्छ भारत अभियान का जन सुविधा कहाँ है? अगर कुछ शौचालय हैं भी तो उनका चार्ज Rs.10/-है,अगर किसी गरीब को जरुरत पड़ी और उस के पास Rs.10 न हो तो वह किधर जायेगा? Bettiah कचहरी में हर रोज़ कम से कम 5०००हज़ार लोग अपनी जरुरत से जाते हैं क्या वहां स्वच्छ भारत अभियान का जन सुविधा है ? जन सुविधा शौचालय का ब्वस्ता है?मोतिहारी में भी यही हाल है,मोतिहारी के बस स्टैंड में भी स्वच्छ भारत अभियान का जन सुविधा शौचाल्य का कोई इंतज़ाम नहीं है,आप पटना तक चले जाओ थोड़ी कम ज्यादा हर जगह यही हाल है.हॉस्पिटा में तो शौचालय का ये हाल है के अगर गलती से आप एक बार अंदर चले गए तो एक महीने तक आप खाना पीना छोड़ देंगे-फिर ये 8 लाख 50 हज़ार शौचालय कहाँ गए??

एक और मज़े का tweet है कोई इबरार राज अपने ट्वीट में लिखते हैं और एक न्यूज़ पेपर की cutting भी पोस्ट करते हैं " रेलवे पटरी पे शौच करने वाले 32 लोग धरे गए,पीछे पुलिस सीना ताने खड़ी है और आगे वह 32 लोग बैठे हैं और न्यूज़ पेपर में पुब्लिश हुआ है, ऐसा लग रहा कि कितना बड़ा आतंकवादी पकड़ा गया है.इससे पुलिस की बहुत बड़ी उपलभ्दी बताई जा रही है.इसी बात पे आखिर आखिर में एक लतीफा याद आगया अगर आप लोगों की अनुमति हो तो लिख दूँ-

एक गाँव में जिलाधिकारी नसबंदी के महत्व के बारे में भाषण दे रहा था  भाषण के बाद उसने कहा कि अगर कोई सवाल पूछना चाहे तो पूछ सकता है.
एक ग्राम सेवक खडा हुआ
और बोला – गाँव वाले पूछते है कि क्या आपने खुद नसबंदी कराई है?
जिलाधिकारी ने कहा- नहीं मैंने नसबंदी नहीं कराई है.
ग्राम सेवक ने पूछा – क्या कमिश्नर ने नसबंदी कराई है?
जिलाधिकारी ने कहा- जहाँ तक मुझे जानकारी है कमिश्नर ने भी नसबंदी नहीं कराई है.
ग्राम सेवक ने फिर पूछा – क्या मंत्रालय के सचिव ने कराई है?
जिलाधिकारी ने कहा - मैं तुम्हारा सवाल समझ गया... देखो हम सब पढ़े लिखे लोग हैं...हम बिना नसबंदी कराए ही परिवार नियोजन करते हैं.

ग्राम सेवक ने कहा ...

तो मादरचोदो ,
हमें भी पढ़ाओ लिखाओ,
हमारे घंटे के पीछे क्यों पड़े हो

सारांश
सरकार से हमें क्या चाहिए आप सब अच्छी तरह जानते हैं,अगर कुछ समझ में आया हो तो मुझे भी अपनी पर्तिकिर्या बतायें. हमें एजुकेशन दो हम स्वच्छ भारत खुद ही कर लेंगे,जिस देश का PM हरे पत्ते साफ़ रोड में छींट के झाड़ू लगाते हुए, मीडिया के सामने फोटो खिचवायेगा उस देश में स्वच्छ भारत की कल्पना कैसे की जा सकती है,क्या PM के पास इतना वक्त है कि वह रोड पे पड़े हरे पत्ते साफ़ करे?भारत में इतना बड़ा नगर निगम, नगर पालिका और उसमे इतने सारे काम करने वाले क्या कर रहे हैं?नगर निगम और नगर पालिका पे स्वच्छ भारत अभियान की कोई जिम्मेदारी नहीं है?दुनिया के किसी भी देश का नेता साफ़ सफाई करते हुए पब्लिक के सामने फोटो नहीं खिंचवाते हैं क्यों के पब्लिक उनको जूता मारने लगेगी,लेकिन भारत में पब्लिक मस्त हो जाती है के PM हो के झाड़ू लगा रहा है.जैसा भी है मेरा देश है,मेरा भारत महान है, स्वच्छ भारत अभियान ज़िंदाबाद...

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